बिछड़े अभी तो हम बस कल परसों
जिऊन्गी मैं कैसे, इस हाल में बरसों
मौत ना आयी, तेरी याद क्यों आयी, लंबी जुदाई
चार दिनों का प्यार हो रब्बा, बड़ी लंबी जुदाई
होठों पे आयी मेरी जान दुहाई, हाय लंबी जुदाई
एक तो सजन मेरे पास नहीं रे
दूजे मिलन की कोइ आस नहीं रे
उस पे सावन आया, आग लगाई
टूटे जमाने तेरे हाथ निगोड़े
जिन से दिलों के तू ने शीशे तोड़े
हिजर की ऊँची दिवार बनायी
बाग़ उजाड़ गए खिलने से पहले
पंछी बिछाद गए मिलाने से पहले
कोयल की कूक ने हूक उठाई
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