Friday, April 16, 2010

{16} गीतकार -जावेद अख्तर गायक-रूपकुमार राठोड संगीतकार-अनु मलिक


ए जाते हुए लम्हो, ज़रा ठाहारो, ज़रा ठाहारो
मई भी तो चलता हूँ, ज़रा उन से मिलता हूँ
जो एक बात दिल में है, उन से कहू, तो चालू, तो चालू
उन के चहरे की ये नम्रीया, उन के जुल्फों की ये बदलियाँ
उन की आखों के रौशन दिए, उन के होठों की ये सुर्खियाँ
सब उन के हैं जलवे, मैं चलने से पहले
साँसों में, आखों में, ख़्वाबों में, यादों में
और इस दिल में उन को छुपा के रखू, तो चालू, तो चालू
मई कही भी राहू ए सनम मुज़ को हैं जिन्दगी की कसम
फासले आते जाते रहे, प्यार लेकीन नहीं होगा कम
जिन्हें चाहू, जिन्हें पूजू, उन्हें देखू, उन्हें छू लू
ज़रा बाते तो कर लू, ज़रा बाहों में भर लू
मई इस चाँद से माथे को चूम लू, तो चालू, तो चालू

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