वो लम्हें वो बाते, कोई ना जाने
थी कैसी राते, वो बरसाते
वो भिगी भिगी यादें
ना मै जानू, ना तू जाने
कैसा हैं ये मौसम कोई ना जाने
कही से यह फिजा आई
गमों की धूँप संग लाई
खफा हो गए हम
जुदा हो गए हम
सागर की गहराई से
गहरा हैं अपना प्यार
सहराओं की इन हवाओं में
कैसे आएगी ये बहार
कहा से ये हवा आई
घटायें काली क्यों छाई
खफा हो गए हम
जुदा हो गए हम
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