कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो
क्या कहना हैं, क्या सुनना हैं
मुज़ को पता है, तुम को पता हैं
समय का ये पल थम सा गया हैं
और इस पल में, कोइ नहीं हैं
बस एक मैं हूँ, बस एक तुम हो
कितने गहरे हलके, शाम के रंग हैं छलके
परबत से यूं उतारे बादल जैसे आँचल ढलके
और इस पल में.. .. ..
सुलगी सुलगी साँसे, बहकी बहकी धड़कन
महके महके शाम के साए, पिघले पिघले तन मन
और इस पल में.. .. ..
No comments:
Post a Comment