Friday, April 16, 2010

{7} गीत कार -जावेद अख्तर गायक -कुमार सानु संगीत कार -राहुलदेव बर्मन


एक लड़की को देखा तो आय एसा लगा
जैसे खिलता गुलाब जैसे शायर का ख्वाब
जैसे उजली किरण जैसे बन में हिरन
जैसे चांदनी रात जैसे नमरी की बात
जैसे मंदिर में हो एक जलता दिये
एक लड़की को देखा तो एसा लगा
जैसे सुबह का रूप जैसे सर्दी की धुप
जैसे बीना की तान जैसे रंगों की जान
जैसे बलखाये बेल जैसे लहरों का खेल
जैसे खुशबू लीए आये ठंडी हवाय
एक लड़की को देखा तो एसा लगा
जैसे नाचता मोर, जैसे रेशम की डोर
जैसे परियों का राग जैसे संदल की आग
जैसे सोला सिंगार, जैसे रस की पुहार
जैसे आहिस्ता आहिस्ता बढ़ता नशा

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