Saturday, April 17, 2010

{20} गीत- मजरूह सुल्तानपुरी गायक- लता मंगेशकर - किशोर संगीतकार -सचिनदेव बर्मन

तेरे मेरे मिलन की ये रैना
नया कोइ गुल खिलायेगी
तभी तो चंचल हैं तेरे नैना, देखो नाना
नहा सा गुल खिलेगा अंगना
सूनी बैय्या, सजेगी सजना
जैसे खेले चन्दा बादल में
खेलेगा वो तेरे आँचल मेचंदानिया गुनगुनायेगी,
तभी तो चंचल हैं तेरे नैना
तुजे थामी कई हाथों से
मिलूंगा मदभरी रातों से
जगा के अनसुनी सी धड़कन
बलामवान भर दूंगी तेरा मन
नयी अदा से सतायेगी,
तभी तो चंचल हैं तेरे नैना

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