Thursday, April 29, 2010

{81} मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार

मैली चादर ओढ़ के
कैसे द्वार तुम्हारे आऊ
हे पावन परमेश्वर मेरे मन ही मन शर्माऊ

....मैली

तुमने मुजको जग मैं भेजा निर्मल देके काया
आकर के संसार मैं मेने इसको दाग लगाया
जन्मो जनम की मैली चादर कैसे दाग छुदाऊ.
...मैली

निर्मल वाणी पाकर तुजसे नाम ना तेरा गाया
नैन मुड़कर है परमेश्वर कभी ना तुझको ध्याया
Align Centerमन विणाकी तारे टूटी अब क्या गीत सुनाऊ
....मैली

इन पैरो से चलकर तेरे मंदिरे कभी न आया
जहा जहा हो पूजा तेरी कभी न शीष जुकाया
है हरिहर मैं हारके आया अब क्या हार चढाऊ
....मैली

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