Tuesday, May 11, 2010

are dwarpalo kanahiya se kahdo

देखो देखो यह गरीबी,यह गरीबी कहा ले,
कृष्ण के द्वार पे बिस्वास लेके आया हूँ,
मेरे बचपन का एआर है मेरा श्याम,
यह ही सोच कर में आश कर के आया हूँ.

अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो-ऊऊ….
अरे द्वारपालों उस कन्हैया से कह दो,
के द्वार पे सुदामा करीब आगया है.
के द्वार पे सुदामा करीब आगया है.

हा… भटकते भटकते ना जाने कहा से,
भटकते भटकते ना जाने कहा से,
तुम्हारे महल के करीब आगया है.
तुम्हारे महल के करीब आगया है.

ओऊ…अरे द्वारपालों उस कन्हैया से कह दो,
के द्वार पे सुदामा करीब आगया है.
के द्वार पे सुदामा करीब आगया है.

ना सरपे है पगरी ना तन पे है जामा,
बातादो कन्हैया को नाम है सुदामा.
हा…बातादो कन्हैया को नाम है सुदामा.
हा…बातादो कन्हैया को नाम है सुदामा.

ना सरपे है पगरी,
ना तन पे है जामा.
बतादो कन्हैया को नाम है सुदामा.

होऊ….ना सरपे है पगरी ना तन पे है जामा,
बातादो कन्हैया को नाम है सुदामा.
होऊ….बातादो कन्हैया को नाम है सुदामा.

एक बार मोहन से जा कर के कहे दो,
तुम एक बार मोहन से जा कर के कहे दो,
के मिलने सखा पद नसीब आगेया है.
के मिलने सखा पद नसीब आगेया है.

अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो,
के द्वार पे सुदामा करीब आगेया है.
के द्वार पे सुदामा करीब आगेया है.

सुनते ही दौरे चले आये मोहन,,
लागाया गले से सुदामा को मोहन.
हा…लागाया गले से सुदामा को मोहन.
लागाया गले से सुदामा को मोहन.

ओह..सुनते ही दौरे,
चले आये मोहन.
लागाया गले से,
सुदामा को मोहन.

हा…सुनते ही दौरे चले आये मोहन,
लागाया गले से सुदामा को मोहन.
हा…लागाया गले से सुदामा को मोहन.

हुआ रुक्स्मानी को बहुत ही अचंभा,
हुआ रुक्स्मानी को बहुत ही अचंभा,
यह मेहमान कैसा अजीब आगेया है.
यह मेहमान कैसा अजीब आगेया है.

हुआ रुक्स्मानी को बहुत ही अचंभा,
यह मेहमान कैसा अजीब आगेया है.
यह मेहमान कैसा अजीब आगेया है.

No comments: