सुख के सब साथी दुःख में न कोई
मेरे राम, मेरे राम
तेरा नाम एक साचा दूजा न कोई
जीवन आणि जानी छाया
झूठी माया झूठी काया
फिर कहे को साड़ी उमरिया
पापकी गठरी धोई
सुख के सब साथी...
न कुछ तेरा न कुछ मेरा
ये जग जोगी वाला फेरा
रजा हो या रुनक सभी का
अंत एक्स होई
सुख के सब साथी...
बाहर की तू माती फांके
मन के भीतर क्यूँ न झांके
उजले तन पर मान किया
और मन की मेल न धोई
सुख के सब साथी...
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