Sunday, May 30, 2010

SHIV TANDAV STOTRAM NEW

जताताविगालाज्जाला प्रवाहपवितास्थाले
ग़लेअवलम्ब्य लम्बितम भुजन्गातुन्गामालिकम
दामाद दामाद दमद्दमा निनादावादामार्वायाम
चक्र चंद्तान्दवं तनोतु नह शिवः शिवम् II1II

जाता कटा हसम्भ्रमा भ्रमानिलिम्पनिर्झारी
विलोलाविचिवालारै विराजमानामुर्धानी
धगढ़ागढ़ागाज्ज्वा लालालाता पत्तापवाके
किशोर चन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षनाम मामा II2II

धराधारेंद्रना न्दिनिविलासबंधुबंधुरा
स्फुरादिगंतासंटती प्रमोदामानामानसे
क्रुपकताक्षधोरानी निरुधादुर्धरापादी
क्वाचिदिगाम्बरे मनोविनोदामेतुवास्तुनी II3I

जाता बहुजन गपिन्गाला स्फुरात्फनामानिप्रभा
कदम्बकुंकुमा द्रवाप्रलिप्ता दिग्वाधुमुखे
मदान्ध सिन्धु रस्फुरात्वगुतारियामेदुरे
मनो विनोदामाद्भुतम बिभर्तु भुताभार्तरी II4II

सहस्र लोचना प्रभृत्य शेशालेखाशेखारा
प्रसुना धुलिधोरानी विधुसरान्घ्रिपिथाभुह
भुजन्गाराजा मलय निबद्धाजताजुताका
श्रियाई चिराय जयताम चकोर बन्धुशेखारह II5II

लालता चात्वराज्वालाधानाज्न्जयास्फुलिन्गाभा
निपितापज्न्चासयाकम नमन्निलिम्पनायकम
सुधा मयुख लेख्य विराजमानाशेखाराम
महा कपाली संपदे शिरोजतालामास्तु नह II6II

कराला भला पत्तिकाधागाद्धागाद्धागाज्ज्वाला
द्धानाज्न्जय हुतिक्रुता प्रचान्दपज्न्चासयाके
धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रका
प्रकाल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचने रतिर्मामा II7II



नविन मेघा मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुरत
कुहू निशिथिनितामः प्रबंधाबद्धाकंधारह
निलिम्पनिर्झारी धरस्तनोतु कृत्ति सिन्धुरह
कलानिधानाबंधुरह श्रियम जगाद्धुरंधारह II8II

प्रफुल्ला नीला पंकजा प्रपज्न्चाकलिम्चाथा
व्दम्बी कन्थाकंदाली रारुचि प्रबद्धाकंधाराम
स्मराच्चिदम पुराच्छिदम भवच्चिदम मखाच्चिदम
गजच्चिदंधाकचिदम तमाम्ताकच्चिदम भजे II9II

अखार्वगार्वसर्वमंगाला कलाकादाम्बमाज्न्जारी
रासप्रवः माधुरी विज्रुम्भाना मधुव्रतम
स्मरंताकम पुरान्तकं भवन्ताकम मखान्ताकम
गजन्ताकन्धाकंताकम तमन्ताकंताकम भजे II10II

जयत्वदाभ्रविभ्रमा भ्रमाद्भुजन्गामासफुर
धिग्धिग्धि निर्गामात्काराला भाल हव्यावत
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वा नन्म्रुदंगातुन्गामंगाला
ध्वनिक्रमाप्रवार्तिता प्रचंडा तन्दवः शिवः II11II

दृशाद्विचित्रताल्पयोर भुजंगा मौक्तिकस्राजोर
गरिष्ठारात्नालोष्ठायोह सुह्रुद्विपक्षापक्षयोह
त्रुश्नाराविन्दाचाक्शुशोह प्रजमाहिमाहेंद्रयोह
समां प्रवार्तायान्मनाह कदा सदाशिवं भजे II12II

कदा निलिम्पनिर्झारी निकुज्न्जकोतारे वसंह
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थामाज्न्जलिम वहांह
विमुक्तालोलालोचानो लालामाभालालाग्नकाह
शिवेति मन्त्रमुच्चरण सदा सुखी भवाम्यहम II13II

इमाम ही नित्यमेव मुक्तामुत्तामोत्तामम स्तवं
पथान्स्मरण ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेती संततं
हरे गुरु सुभक्तिमाशु यति नान्यथा गतिम्
विमोहनं ही देहिनाम सुशंकरस्य चिन्तनम II14II

पूजा वासनासमाये दशावाक्त्रगितम
यह शम्भुपुजनापरम पठाती प्रदोश्हे
तस्य स्थिरं राथागाजेन्द्रतुरंगयुकतम
लक्ष्मीम सदैव सुमुखिम प्रददाति शम्भुह II15II

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