Saturday, May 29, 2010

Jyot Se Jyot Jagate Chalo - Sant Gyaneshwar 1964

ज्योत से ज्योत जगाते चलो

प्रेम की गंगा बहाते चलो

राह में आये जो दीं दुखी

सब को गले से लगा ते चलो



कौन हैं उंचा, कौन हैं नीचा, सब में वो ही समाया

भेदभाव के जूठें भरम में, ये मानव भरमाया

धरम ध्वजा फहराते चलो



सारे जग के कनकन में है, दिव्य अमर एक आत्मा

एक बरम्ह है, एक सत्य है, एक ही हैं परमात्मा

परानों से परं मिलाते चलो

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